Rajasthan Geography Notes PDF || राजस्थान का भूगोल
Rajasthan Geography Notes PDF || राजस्थान का भूगोल
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आज हमने लेख के माध्यम से राजस्थान का भूगोल या Rajasthan Geography के बारे में आपसे कुछ जानकारिया साझा कर रहे है जिसे हमने 7 बिन्दुओ के बारे से संक्षिप्त में बताया है वह बिंदु निम्न प्रकार से है
- राजस्थान की स्थति का विस्तार
- राजस्थान के भौतिक प्रदेश
- जलवायु
- नदी तंत्र या अपवाह तंत्र
- झीले
- संचाई परियोजना
- खनिज
इन बिनुओ की सम्पूर्ण जानकारी आपको PDF में मिल जाए अगर आप इन सारे बीनूओ पर पूर्ण जानकारी लेना चाहे तो आप ले सकते है
(1) राजस्थान की स्थति का विस्तार :-
इसको तीन भागो में विभक्त किया गया है जिसमे पहला है राजस्थान का क्षेत्रफल, दूसरा है राजस्थान की आकृति, और तीसरा है विस्तार
राजस्थान का क्षेत्रफल:-
राजस्थान का क्षेत्रफल किलोमीटर² 3, 42,239 में फैला है और अगर इसकी बात मील ² में की जाये तो यह 1, 32,139 में फैला हुआ है राजस्थान का क्षेत्रफल देश के कुल क्षेत्रफल का 10.44 % है
आकृति:-
राजस्थान की स्थति का आकार T. H हेंडले के द्वारा रोमबज, विषमकोणीय चतुर्भुज तथा पतंगाकार आकृति कहा गया है।
विस्तार:-
राजस्थान की त्रिय अंतरास्ट्रीय सीमाएं 4850 है तथा अन्तर्राज्य सीमाएं 1070 है तथा राजस्थान की कुल सीमा 5920 है।
(2) राजस्थान के भौतिक प्रदेश :-
भारत के राजस्थान राज्य को मुख्य रूप से जलवायु के आधार पर चार प्रकार के भौतिक प्रदेशो में बिभक्त किया गया है जिसमे सबसे पहला है मरुस्थल, दूसरा है। अरावली, पूर्व मैदान तथा हाड़ोती आदि है ।
मरुस्थल:-
उत्तरी पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश टरशयरी प्लीस्टोसीन आदि का निर्माण काल है। तथा इसका विस्तार कुछ इस प्रकार है इसकी कुल लम्बाई 640 किलोमीटर है, तथा इसकी चौड़ाई 300 किलोमीटर है, तथा इसकी औसत ऊंचाई है 200 – 300 मिटेर ( समुद्र तल से ऊंचाई ) है।
अरावली:-
इसका निर्माण काल प्री केम्ब्रियन काल, एप्रेशियन पर्वतमाला के समकालीन या बराबर है। और इसका विस्तार कुछ इस प्रकार है इसकी कूल लम्बाई 692 किलोमीटर है, इसकी राज में लम्बाई 550 किलोमीटर या 80 % है तथा इसकी औसत ऊंचाई 930 मीटर है।
पूर्वी मैदान:-
पूर्वी मैदान नदियो के द्वारा जमा की गयी जलोढ़ मिटटी के द्वारा किया गया है। तथा इसका अध्यन – पूर्वी मैदान को तीन प्रकार के भागो में बांटा गया है जिसमे पहला है माहि का मैदान , दूसरा है बनास या फिर बाणगंगा का मैदान तथा तीसरा है चम्बल क मैदान।
दक्षिणी पूर्वी पठारी क्षेत्र या हाड़ोती:-
दक्षिणी पूर्वी पठारी क्षेत्र या हाड़ोती का निर्माण पैठीक लावा या फिर बेसाल्ट लावा से इसका निर्माण हुआ है, दक्षिणी पूर्वी पठारी क्षेत्र या हाड़ोती की मिटटी काली मिट्टी या फिर कपासी मिट्टी होती है, अगर इसको अध्यन्न की दृस्टि से देखा जाए तो इसको दो मुख्य भागो में तथा तीन गोण भागो में विभक्त किया गया है।
(3) जलवायु :-
जलवायु का अभिप्राय है की पृथ्वी के चारो तरफ वायुमंडल की दीर्ध कालीन घटनाओ को जलवायु कहा गया है। तथा इसकी जलवायु का निर्धारण 300 वर्षो की औसत दशाओ के मद्धेनजर रख कर जलवायु का निर्धारण किया जाता है तथा राजस्थान की जलवायु उपोषण कटिबंधीय जलवायु होती है।
(4) नदी तंत्र या अपवाह तंत्र :-
- राजस्थान के नदी तंत्र या अपवाह तंत्र को तीन भागो में विभक्त किया गया है उन तीन भागो के नाम निम्नानुसार है पहला में अरब सागर की नदिया आती है जो की 17% है दूसरे में अन्तः प्रवाही नदिया जो की लगभग 60% है तथा अंत में बंगाल की खाड़ी की नदिया आती ही जो की लगभग 23% है।
- राज्य राजस्थान में मरुस्थल का सबसे ज्यादा विस्तार होने के कारण देश में सबसे अधिक अन्तः प्रवाही नदिया राजस्थान में है।
- राजस्थान में देश की कुल सतह का लगभग 1.16% है।
- राजस्थान में देश की कुल भूमिगत जल का लगभग 1.67% है।
(5) झीले:-
- पान को प्रकृति के आधार या मद्धेनजर रखते हुए इनको दो भागो में विभक्त किया गया है। जिसमे पहला प्रकार है खारे पानी की झीलें जिसका कारण ये है की टेथिस सागर के अवशेष के आधार पर तथा दूसरा दूसरा भाग है मीठे पानी की झीलें जिसका कारण यह है की यह झीलें वर्षा के पानी और ताजे पानी से निर्मित झीलें होती है।
- मीठे पानी की कुछ झीलों के नाम इस प्रकार है – सांभर जो की जयपुर में स्थित है, पचपदरा जो की बाड़मेर में स्थित है आदि तथा खारे पानी की कुछ झीलों के नाम इस प्रकार है – राजसमंद झील जो की उदयपुर में स्थित है, फ़तेहसागर और पिछोला झील जो की उदयपुर में स्थित है आदि।
(6) संचाई परियोजना:-
- राजस्थान में सिचाई के प्रमुख साधन या माध्यम माने गए है जैसे की नलकूप से, नेहरो से, तालाबो से और कुओ आदि से सिंचाई का माध्यम माना गया है
- राजस्थान में सिचाई का वर्गीकरण तीन प्रकार के भागो में विभक्त किया गया है जिसमे पहला सिचाई का वर्गीकरण का प्रकार लघु सिंचाई परियोजन (0 – 2000 H) है, दूसरा सिचाई का वर्गीकरण का प्रकार मध्यम सिंचाई परियोजन (2000 – 10000 H↑) है और तीसरा सिचाई का वर्गीकरण का प्रकार वृहत सिंचाई परियोजन (10000 H ) है।
(7) खनिज:-
राजस्थान में खनिजों को पांच प्रकार से बिभक्त किया गया है। जिसमे नबर एक पर आता है खनिज दृश्टिकोण, दूसरे नम्बर पर आता है खनिज चट्टानें, तीसरे नम्बर पर आता है खनिज वर्गीकरण, चौथे नम्बर पर आता है कनीज उत्पादन, पांचवे नम्बर पर आता है खनिज नीतिया ।
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